सच के लिए लड़ना ही पत्रकारिता का धर्म है – श्रीवर्धन त्रिवेदी
आज के एंकर अभिनेताओं में बदल गए हैं – शरद द्विवेदी
लॉकडाउन के प्रभाव से डिजीटल मीडिया की पहुंच बढ़ी – रंजन सेन
मीडिया में कंटेट के लिए ऑडिएंस को समझना जरूरी है – प्रो. के.जी. सुरेश
अंतर्राष्ट्रीय मीडिया कॉन्फ्रेंस का दूसरा दिन
मीडिया के विभिन्न विषयों पर रिसर्च पेपर प्रस्तुत
भोपाल, 25 मार्च, 2021: सन्नाटे को चीरती सनसनी लोगों को डराने के लिए नहीं बल्कि जगाने के लिए है। नेगेटिविटी को दिखाने के लिए अधिक क्रिएटिविटी की जरूरत होती है। गुरूवार को माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय द्वारा तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय मीडिया कॉन्फ्रेंस के दूसरे दिन तीसरे तकनीकी सत्र में एबीपी न्यूज पर क्राइम शो सनसनी के एंकर श्रीवर्धन त्रिवेदी ने इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के बदलते कंटेट विषय पर बोलते हुए कहा कि कहानी कहने के कई तरीके होते हैं, जो कहानी लोगों तक पहुंच जाए वही सफल है। मीडिया के माध्यम से दिखाना ही नहीं बल्कि क्या नहीं दिखाना है, यह भी मीडिया की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है। दूसरे दिन तीन तकनीकी सत्रों में देश-विदेश की मीडिया हस्तियों ने बदलते मीडिया परिदृश्य पर अपने विचार रखे और शोधार्थियों द्वारा एक दर्जन से अधिक शोधपत्र प्रस्तुत किए गए।
इससे पहले तकनीकी सत्र में मुख्य वक्ता ईटीवी बांग्लादेश के एक्जीक्युटिव न्यूज एडिटर रंजन सेन ने कहा कि कोरोना लॉकडाउन का ही प्रभाव रहा कि घरों में बंद जनता के बीच ऑनलाइन मीडिया का कन्जम्पशन तेजी से बढ़ा, लोग डिजीटल प्लेटफार्म का उपयोग सूचनाओं, समाचार और मनोरंजन के लिए करने लगे। ऐसे में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर आने वाले कॉमर्शियल भी डिजीटल मीडिया पर शिफ्ट होने लगे। लेकिन लॉकडाउन के बाद भी डिजीटल मीडिया की रफ्तार कम नहीं हुई है। हमें इस बदलाव को ध्यान में रखकर कंटेट तैयार करना चाहिए।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. के.जी. सुरेश ने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में कंटेट क्रिएशन के लिए ऑडिएंस को समझना जरूरी है, हमे देखना होगा कि समाचार और मनोरंजन की भरपूर उपलब्धता के बावजूद लोग क्राइम शो क्यों देख रहे हैं, इसमें शोध की आवश्यकता है।
दूसरे तकनीकी सत्र में बंसल न्यूज के मुख्य संपादक श्री शरद द्विवेदी ने कहा कि ब्रॉडकास्ट मीडिया का चेहरा तेजी से बदला है, आज समाचार एंकर हीरो के रूप में स्थापित हो रहे हैं, जो बहुत अच्छे अभिनेता लगते हैं, उनका वॉइस माड्यूलेशन और उनकी गर्जना आज मायने रखने लगी है। एंकर के व्यवहार में इस परिवर्तन को हमे समझना होगा। देश में मीडिया रेगुलेशन की जरूरत बताते हुए श्री द्विवेदी ने कहा कि पुरुष एंकर भले खूबसूरत न हो लेकिन महिला एंकर को खूबसूरत होने की अपेक्षा की जाती है, यह ठीक नहीं है।
कल शुक्रवार को कॉन्फ्रेंस के तीसरे और अंतिम दिन लेखक, राजनीतिक विश्लेषक और वरिष्ठ अंतर्राष्ट्रीय पत्रकार डॉ वायल अवाद एवं अंतर्राष्ट्रीय पत्रकार पी.एम. नारायणन, एआईएमसी के निदेशक प्रो. सजल मुखर्जी अपने वक्त्व्य देंगे। जबकि समापन सत्र को प्रख्यात टी.वी. पत्रकार श्री बृजेश कुमार सिंह संबोधित करेंगे जिसकी अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. के.जी सुरेश करेंगे।
कॉन्फ्रेंस के दूसरे दिन चार तकनीकी सत्रों की अध्यक्षता डॉ. आशीष जोशी, डॉ. सी.पी. अग्रवाल, डॉ. अविनाश वाजपेई ने की जबकि सत्रों का समन्वय डॉ. जया सुरजानी, डॉ. मनीषा वर्मा और दीपक चौकसे ने किया। विश्वविद्यालय के इलेक्ट्रॉनिक मीडिया विभाग द्वारा आयोजित इस कॉन्फ्रेंस के पेट्रोन डॉ. श्रीकांत सिंह एवं कॉन्फ्रेंस सेक्रेटरी डॉ. संजीव गुप्ता हैं।