गांधी के विचार आज ज्यादा प्रासंगिकः कुलपति दीपक तिवारी
जबलपुर, 15 फरवरी, 2020: भारत दुनिया का अनूठा देश है जहाँ भाषा, धर्म, रंग, नस्ल में इतनी विविधता के बावजूद सांप्रदायिक एकता और सौहार्द की भावना बनी है।इस देश को एकता और धर्मनिरपेक्षता के सूत्र में पिरोने में महात्मा गांधी की विचारधारा और संविधान का महत्वपूर्ण योगदान है। इसलिए आज महात्मा गांधी के विचार ज्यादा प्रासंगिक हो गये हैं।नौजवानों को गांधी के विचार पढ़ना आवश्यक है।ताकि वे संविधान में बताए अनुसार भारत का निर्माण करने में सफल हों सकें।
ये बात आज यहाँ माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता और संचार विश्वविद्यालय ,भोपाल के कुलपति श्री दीपक तिवारी ने कही।वे समदडिया मॉल में “गांधी दर्शन” प्रदर्शनी सह व्याख्यान कार्यक्रम में बोल रहे थे।गांधीजी के जीवन से जुड़े अविस्मरणीय प्रसंगों पर एकाग्र 115 अभिनव पोस्टर्स की इस प्रदर्शनी का आयोजन विश्वविद्यालय द्वारा अपने संबद्ध अध्ययन संस्थाओं के विद्यार्थियों को गांधीजी के जीवन दर्शन से परिचित कराने के उद्देश्य से किया गया था।
कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में जानेमाने पत्रकार, गांधीवादी विचारक और वर्तमान में विश्वविद्यालय के एडजंक्ट प्रोफेसर श्री अरुण त्रिपाठी ने महात्मा गांधी के जीवन से जुड़े अनेक अनछुए पहलुओं पर प्रकाश डाला।उन्होंने कहा कि गांधीजी के बारे में अक्सर दुष्प्रचार होता है कि उन्होंने वल्लभभाई पटेल को तवज्जो न देकर पंडित नेहरूजी को प्रधानमंत्री बनाया।लेकिन हकीकत ये थी कि वल्लभभाई पटेल नेहरु से उम्र में दस वर्ष बड़े और वयोवृद्ध थे। अतःदेश को एक युवा नेतृत्व देने की भावना से ही उन्होंने नेहरू जी का नाम आगे बढ़ाया। श्री त्रिपाठी ने बहुत रोचक ढंग से उन परिस्थितियों का भी वर्णन किया झ
जिनमें कस्तूरबा गांधी सत्याग्रह के आंदोलन में जुड़ीं। विश्वविद्यालय के सहायक कुलसचिव विवेक सावरीकर ने कार्यक्रम का उत्कृष्ट संचालन किया। इससे पूर्व राजीव गांधी इंस्टीट्यूट (9035), जबलपुर के संचालक श्री राजेश वर्मा और एकेडमी ऑफ कम्प्यूटर साईंस एंड टेक्नोलॉजी (9027) के संचालक श्री प्रशांत कर्मवीर और श्री राजकुमार पटेल ने कुलपतिजी और मुख्य वक्ता श्री अरुण त्रिपाठी का समस्त संचालकों की ओर से प्रातिनिधिक रूप से पुष्पगुच्छ भेंटकर स्वागत किया।
कार्यक्रम के प्रथम चरण में जबलपुर, कटनी, मंडला और नरसिंहपुर के संचालकों के साथ एक बैठक भी हुई जिसे निदेशक (संबद्ध अध्ययन संस्थाएं) डॉक्टर मनीष माहैश्वरी, परीक्षा नियंत्रक डॉ. राजेश पाठक, निदेशक, प्रशिक्षण डॉ अनुराग सीठा ने संबोधित किया और संचालकों के प्रश्नों और जिज्ञासाओं का समाधान किया।