राम प्रकृति हैं लेकिन रावण जीवन हैः शैलेंद्र तिवारी
एमसीयू में वसंत साहित्य उत्सव का समापन
भोपाल, 30 जनवरी, 2020: माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय की ओर से आयोजित वसंत साहित्य उत्सव’ (एमसीयू लिटरेचर फेस्टिवल) के समानांतर सत्रों में विभिन्न लेखकों की पुस्तकों पर आज भी चर्चा हुई । नंदकिशोर त्रिखा विमर्श सदन में शैलेंद्र तिवारी ने अपनी पुस्तक ‘रावण एक अपराजित योद्धा’ पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह रावण को लेकर के समाज में प्रचलित भ्रांतियों को दूर करने का प्रयास करती है। राम प्रकृति हैं लेकिन रावण जीवन है। डॉ.दीपक राय ने ‘सोशल मीडिया राजनीति और समाज’ पर कहा कि यह पुस्तक पत्रकारिता के विद्यार्थियों को केंद्र में रखकर लिखी गई है जो शोध परक है। पुस्तक हर उस व्यक्ति के लिए उपयोगी हो सकती है जो अपने पास स्मार्ट फोन रखता है। अंतिम सत्र में अनुज खरे की पुस्तक ‘बातें बेमतलब’ पर जब उनसे चर्चा में पूछा गया कि आप पुस्तक में रूमानी सामग्री कहां से लाते हैं तो उन्होंने कहा कि ये उनका पेशा है और जरूरी नहीं कि कोई चीज लिखने के लिए आपको उस चीज का अनुभव हो।
अंबा प्रसाद श्रीवास्तव विमर्श सदन में श्रुति कुशवाहा ने काव्य संग्रह ‘कशमकश’ पर चर्चा के दौरान कहा कि आज के युवा सोशल मीडिया पर आ रहे लाइक कमेंट्स पर अपने आपको जज न करें। कविता लिखने के लिए तकलीफों से दोस्ती करना चाहिए। ‘सृजन पथ’ के लेखक विवेक मृदुल ने कहा कि सृजन पथ चलने की एक शैली है। लेखन का उद्देश्य समाज और देश की विसंगतियों को समाज के सामने लाना होता है, ताकि इनमें बदलाव लाया जा सके । ‘लौटेगी नदी एक दिन’ के कवि और लेखक दीपक पगारे ने कहा कि कवि का उद्देश्य परिवेश को रेखांकित करना होता है। अपनी पुस्तक के बारे में उन्होंने कहा कि उनकी पुस्तक पवित्र प्रेम और रूमानियत नजर आती है।
के.एम. श्रीवास्तव विमर्श सदन में हिमांशु द्विवेदी के आलेख संग्रह ‘अलाव’ पर चर्चा हुई । चर्चा के दौरान श्री द्विवेदी ने कहा कि दो तरह के लेखक होते है, एक वह जो देखता है और दूसरा वह जो सोचता है। उन्होंने खुद को सोचने वाला लेखक बताया। चर्चा के दौरान उन्होंने कहा कि बुद्धि से लिखने वाले लेखक की अपेक्षा सह्दय सोच रखने वाला लेखक श्रेष्ठ होता है । ‘सागर से झील तक’ यात्रा वृत्तांत पुस्तक के लेखक अनुराग ढेंगुला ने चर्चा के दौरान कहा कि जहां घूमने जाता हूं वहां के रह- सहन, खान-पान भौगोलिक स्थिति को देखने के साथ महसूस करता हूं । यह गुण ही किसी को एक अच्छा और महान लेखक बनाता है। विनय त्रिपाठी ने अपने काव्य संग्रह ‘आ जाएगा कोई साथ’ को प्रकृति संरक्षण एवं सर्वागीण विकास के प्रति संकल्पित बताया । महात्मा गांधी से प्रेरित श्री त्रिपाठी ने चर्चा के दौरान कहा कि इस संसार में हजारों व्यक्ति जन्म लेते है, मरते हैं लेकिन संसार कुछ विरले लोगों को ही याद रखता है।
रघुनाथ प्रसाद तिवारी विमर्श सदन में सुश्री प्रीति शर्मा जैन ने ‘सशक्त अभिभावक सफल बच्चे’ प्रेरक प्रसंग पर चर्चा के दौरान अच्छे पड़ोसी को बच्चे के सकारात्मक दृष्टिकोण के विकास में महत्त्वपूर्ण बताया । पड़ोसी भी बच्चे पर पैनी नजर रखकर उसे गलत कार्यो से अवगत करा सकता है। सोमिल जैन ‘सोमू’ की पुस्तक सच संघर्ष और सादगी से भरी ‘उड़ान एक परिंदे की’ पर विमर्श हुआ। उन्होंने कहा कि यह पुस्तक एक उपन्यास है और इसकी सभी घटनाएं काल्पनिक हैं। लेकिन आत्मप्रेरक हैं । विविध एवं समसामायिक विषय पर लिखी गई पुस्तकों पर विमर्श के आखिरी चरण में ‘कुंवर इंद्रजीत सिंह’ की पुस्तक ‘ड्रीम गर्ल’ पर विमर्श किया गया। यह एक प्रेम प्रसंग पर केंद्रित यह उपन्यास एक अधूरी प्रेम कहानी है।