शिक्षा कुछ लोगों के लिए नहीं, सभी के लिए होना चाहिए- प्रो. प्रसाद
एमसीयू में “गांधीयन न्यू एजुकेशन” पर हुई कार्यशाला
भोपाल, मंगलवार दिनांक 01 अक्टूबर, 2019: गांधी का नशा ऐसा नशा यदि चढ़ गया तो फिर उतरेगा नहीं, ऐसे महान व्यक्तित्व के धनी हैं महात्मा गांधी। माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय में “गांधीयन न्यू एजुकेशन” (Gandhian New Education) विषय पर आयोजित कार्यशाला में ये विचार एनआईटीआईई मुंबई के प्रो. प्रसाद (डॉ.मंडी) ने व्यक्त किए। प्रबंधन विभाग द्वारा आयोजित इस एक दिवसीय कार्यशाला में कुलाधिसचिव प्रो. श्रीकांत सिंह, डीन अकादमिक प्रो. पवित्र श्रीवास्तव, प्रबंधन विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. अविनाश वाजपेयी विश्वविद्यालय के शिक्षक एवं विद्यार्थी बड़ी संख्या उपस्थित थे।
मुख्य सभागार में आयोजित वर्कशॉप में प्रो. प्रसाद ने शिक्षा एवं महात्मा गांधी को आपस में जोड़ते हुए कहा कि शिक्षा कुछ लोगों के लिए नहीं, बल्कि सभी लोगों के लिए होना चाहिए। प्रो. प्रसाद ने शिक्षा पर बल देते हुए कहा कि सहीं पढ़ाई के साथ ही आज सच्ची पढ़ाई भी बहुत जरुरी हो गई है। गांधी को बहुत आसान बताते हुए उन्होंने विद्यार्थियों से गांधी को पढ़ने, समझने एवं उनकी सीख को जीवन में उतारने की बात कही । उन्होंने शराब का उदाहरण देते हुए कहा कि यदि मां-बाप शराब पीते हैं तो इसका नकारात्मक प्रभाव बच्चे पर भी होगा और ऐसी शिक्षा किसी भी बच्चे के लिए बेकार है। प्रो. प्रसाद ने गांधी जी की शिक्षा आज के दौर में क्यों महत्वपूर्ण है, इसे सभी विद्यार्थियों को बताया।
कुलाधिसचिव प्रो. श्रीकांत सिंह ने कहा कि गांधी जी का व्यक्तित्व बहुआयामी था । उनके व्यक्तित्व के विभिन्न आयामों से विद्यार्थी परिचित हो सकें, इसलिए इस कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है। कुलाधिसचिव ने कहा कि गांधी जी कि शिक्षानीति, बुनियादी शिक्षा नीति थी। प्रो. सिंह ने कहा कि गांधी जी कहा करते थे कि धर्मग्रंथों पर आधारित शिक्षा नहीं होनी चाहिए, बल्कि नैतिक शिक्षा होनी चाहिए। कुलाधिसचिव ने नैतिक शिक्षा पर जोर देते हुए कि कहा कि नैतिक शिक्षा से ही चरित्र का निर्माण होता है।