जंगल को बचाना है तो बाघों को बचाना होगा – डॉ. अरुण त्रिपाठी
पत्रकारिता विश्वविद्यालय में CREW के सहयोग से अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस पर आयोजन
वन्यजीव पर आधारित डॉक्यूमेंट्री का प्रदर्शन, विश्वविद्यालय के फिल्म क्लब का आयोजन
भोपाल, सोमवार, 29 जुलाई, 2019: अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस पर माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल ने संस्था CREW (Crusade for Revival of Environment and Wildlife) के सहयोग से एक कार्यक्रम का आयोजन किया। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए वरिष्ठ पत्रकार एवं वन्यजीव संरक्षण कार्यकर्ता श्री ललित शास्त्री ने कहा कि जनसंख्या बढ़ने, वन क्षेत्र सिकुड़ने एवं विविध कारणों से बाघों पर संकट आया है, जिसे बचाना हम सभी की जिम्मेदारी है। उन्होने कहा कि पर्यावरण एवं वन्यजीवों पर संवेदनशील पत्रकारिता ने कई बार सरकार को आवश्यक और प्रभावी कदम उठाने पर मजबूर किया है।
इस आयोजन में मध्यप्रदेश जैव विविधता बोर्ड के सहयोग से बनी डॉक्यूमेंट्री “द टाइगर: इंडीकेटर ऑफ हैल्दी फॉरेस्ट ईकोसिस्टम” का भी प्रदर्शन किया गया। यह डॉक्यूमेंट्री श्री शास्त्री द्वारा बीस वर्षों में वन्यजीव संरक्षण के लिए की गई विभिन्न शोध यात्राओं के दौरान बनाए गए दृश्यों पर आधारित है।
इससे पहले कार्यक्रम को संबोधित करते हुए गांधीवादी विचारक एवं शिक्षक डॉ. अरुण त्रिपाठी ने कहा कि यह धरती सिर्फ इंसानों के लिए नहीं है बल्कि सभी जीव-जंतुओं के लिए है। उन्होंने महाभारत के एक श्लोक का उल्लेख करते हुए कहा कि “यदि वन सुरक्षित रखने हैं, तो बाघों को संरक्षित करना होगा। भारत में वन पर आश्रित समुदाय ही वन संपदा का संरक्षण कर सकता है, जबकि बाहरी लोग ही बाघों को शिकार करते हैं। डॉ. त्रिपाठी ने कहा कि जब से भारत में सामाजिक चेतना आई है तब से भारत में बाघ सुरक्षित हुए हैं।
कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के कुलाधिसचिव डॉ. श्रीकात सिंह ने समापन उद्बोधन में बाघ संरक्षण का संकल्प दिलाते हुए कहा कि मनुष्य और जंगल दोनों एक दूसरे के पूरक हैं और दोनों की यह परस्पर निर्भरता प्रकृति प्रदत्त है।
इस कार्यक्रम का आयोजन वन्यजीव संरक्षण के लिए कार्यरत संस्था CREW (Crusade for Revival of Environment and Wildlife) के सहयोग से विश्वविद्यालय में गठित फिल्म क्लब के द्वारा किया गया। कार्यक्रम का संचालन विद्यार्थी धर्मेंद्र कमरिया ने किया।