तकनीक को बनाए टूल, उसे नॉलेज नहीं मानिए : श्री बाजपेयी
भारत में घर सबसे बड़ी पाठशाला : डॉ. आचार्य
विश्वविद्यालय में गुणवत्ता बढ़ाएंगे : कुलपति श्री तिवारी
पंडित माखनलाल चतुर्वेदी की जयंती पर पत्रकारिता विश्वविद्यालय में विशेष व्याख्यान और प्रतिभा- 2019 का पुरस्कार वितरण समारोह आयोजित
भोपाल, 04 अप्रैल, 2019: प्रख्यात न्यूज एंकर श्री पुण्य प्रसून बाजपेयी ने कहा कि कहा कि हमें तकनीक को ज्ञान का आधार नहीं बनाना चाहिए। तकनीक से आ रही सूचनाएं ज्ञान नहीं हैं। हमें तकनीक का उपयोग कर सूचनाएं एकत्र करना चाहिए और उनका विश्लेषण कर वास्तविकता को जनता के सामने ले जाना चाहिए। दुनिया में तकनीक को टूल की तरह उपयोग किया जा रहा है। तकनीक व्यक्तियों का विकल्प नहीं हो सकती। श्री बाजपेयी माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय की ओर से स्वतंत्रता सेनानी और संपादक माखनलाल चतुर्वेदी की जयंती के अवसर पर विद्यार्थियों को संबोधित कर रहे थे। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग के पूर्व अध्यक्ष डॉ. सुरेश आचार्य थे और अध्यक्षता कुलपति श्री दीपक तिवारी ने की।
‘तकनीक के दौर में मूल्यों की पत्रकारिता’ विषय पर आयोजित विशेष व्याख्यान में श्री बाजपेयी ने कहा कि तकनीक ने सूचनाओं का अंबार लगा दिया है। तकनीक ने परिवार और आपसी संबंधों को समाप्त कर दिया है। तकनीक ने संवाद के तरीकों को भी बदल दिया है। यहाँ तक कि उसने साहित्य सृजन को भी खत्म कर दिया है। उन्होंने कहा कि आज की दिक्कत यह है कि तकनीक के जरिए आ रही सूचनाओं को ही हमने ज्ञान मान लिया है। भारत के भीतर तकनीक के जरिए फैक्ट रखे जा रहे हैं। उन्होंने अनेक उदाहरणों से समझाया कि डाटा आखिरी सच नहीं होता है। पत्रकार को उस डाटा के पीछे जाना चाहिए। पत्रकार को सरकारी आंकड़ों का विश्लेषण करना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि पूर्ण सत्य कुछ भी नहीं है। संपादक भी अपने अनुभव से चीजों को परखते हैं, वह भी पूर्ण नहीं है। श्री बाजपेयी ने कहा कि एक ओर तकनीक ने विश्लेषण की सुविधा भी दी है।
श्री बाजपेयी ने कहा कि आज तकनीक का मतलब हमारे हाथ में स्मार्टफोन से है। स्मार्टफोन हमारी जरूरत बन गया है। उन्होंने कहा कि आज सत्ता और तकनीक के बीच पत्रकारों को खड़े होने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि भारत में तकनीक का विस्तार तो खूब हुआ है लेकिन पत्रकारों का विस्तार नहीं हुआ है।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एवं वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. सुरेश आचार्य ने कहा कि भारत का अन्नदाता बहुत हिम्मतवाला है। उन्होंने कहा कि घर सबसे बड़ी पाठशाला है। यह देश निवृत्ति और प्रवृत्ति सहित सब प्रकार के विचार को समेटकर चलता है। इसलिए यहाँ लोकतंत्र अधिक ताकतवर है। उन्होंने कहा कि भारत ने कभी किसी देश पर हमला नहीं किया, क्योंकि हम भूखे नहीं मरते थे। भारत धनी और सम्पन्न था। भारत अर्थात् संसार का भरण-पोषण करने वाला।
सभी विचारधाराओं को पढऩा चाहिए :
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे कुलपति श्री दीपक तिवारी ने कहा कि पत्रकारिता के विद्यार्थियों को सभी विचारधाराओं को पढऩा चाहिए। अच्छे विचार जहाँ से भी आएं, उनका स्वागत करना चाहिए। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय ने अपनी 29 वर्ष की यात्रा में खूब विस्तार किया है, अब हम शिक्षा में गुणवत्ता के लिए कार्य करेंगे। आउटकम बेस्ड लर्निंग पर आधारित पाठ्यक्रम तैयार करेंगे। ताकि यहाँ से निकलने वाले विद्यार्थियों को आसानी से अवसर प्राप्त हों। दादा माखनलाल चतुर्वेदी का स्मरण करते हुए उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता आंदोलन में स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान को समझने के लिए दादा प्रतीक हैं। उन्होंने अपने जीवन के 12 वर्ष जेल में बिताए। कुलपति श्री तिवारी ने कहा कि दादा माखनलाल चतुर्वेदी ने जब कर्मवीर का प्रकाशन प्रारंभ किया तो उन्होंने अपने समाचार-पत्र के लिए आचार संहिता बनाई। दादा ने लिखा कि ‘कर्मवीर’ संपादन और ‘कर्मवीर परिवार’ की कठिनाइयों का उल्लेख न करना। कभी धन के लिए अपील न निकालना। ग्राहक संख्या बढ़ाने के लिए ‘कर्मवीर’ के कालमों में न लिखना। क्रांतिकारी पार्टी के खिलाफ वक्तव्य नहीं छापना। सनसनीखेज खबरें नहीं छापना और विज्ञापन जुटाने के लिए किसी आदमी की नियुक्ति न करना। उन्होंने कहा कि हम अज्ञान को ज्ञान नहीं बनने देंगे। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के वार्षिक उत्सव प्रतिभा-2019 की विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजेता विद्यार्थियों को पुरस्कार प्रदान किए गए। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के प्रकाशन विभाग से प्रकाशित पुस्तक “कबीर वाणी में संचार पद्धति/परम्परा” का विमोचन भी किया गया। इस अवसर पर प्रकाशन विभाग से डॉ. पवित्र श्रीवास्तव एवं लेखक साकेत दुबे उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन सहायक कुलसचिव श्री विवेक सावरीकर और आभार प्रदर्शन प्रोफेसर डॉ. श्रीकांत सिंह ने किया।