गूगल टूल्स की मदद से हम रोक सकते है फेक न्यूज़
गूगल न्यूज़ इनिशिएटिव और माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता वि.वि. द्वारा आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला सम्पन्न
भोपाल, 17 मार्च, 2019: तकनीक की मदद से पत्रकारिता के मूल सिद्धांतों का पालन करते हुए सोशल मीडिया पर फेक और मिसलीडिंग न्यूज़ रोकी जा सकती है। गूगल पर कई प्रकार के ऑनलाइन टूल उपलब्ध है जो इस ट्रेंड को रोकने में मदद कर सकते है। इसके लिए हमें जागरूक होने की आवश्यकता है। न्यूज़ रूम में काम करने वाले पत्रकार इसे रोकने में ज्यादा योगदान कर सकते है।
यह बात गूगल न्यूज़ इनिशिएटिव और माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला ‘पोल चेक भोपाल’ में वक्ताओं ने कही। गूगल की टीचिंग लैब की फेलो सुश्री गीतिका रुस्तगी ने कहा कि अभी 250 मिलियन लोग प्रति माह यूट्यूब पर कुछ ने कुछ देखते है और आने वाले एक साल में यह आकड़ा डबल हो जाएगा। अभी इन विडियो को देखने वालों में 60 प्रतिशत लोग छोटे शहरों से है और बाकी 40 प्रतिशत 6 बड़े महानगरों से है। कई घटनाओं की लाइव स्ट्रीमिंग की जा रही है और चुनाव के समय यह और बढ़ जाती है। कंटेंट शंकास्पद होने पर लोग फ्लैग कर सकते है। गूगल यूट्यूब पर उपलब्ध विडियो को रिव्यु करता है। सुश्री रुस्तगी ने डिजिटल सिक्यूरिटी, न्यूज़ रूम में तुरंत उपयोग किये जाने वाले टूल्स, फैक्ट चेकिंग को लेकर महत्वपूर्ण जानकारी दी।
गूगल न्यूज़ इनिशिएटिव की सुश्री रमा सोलंकी ने फेक न्यूज़ को रोकने के लिए गूगल और अन्य स्त्रोतों ऑनलाइन उपलब्ध कराये जा रहे टूल्स के बारे में पत्रकारों और पत्रकारिता के स्टूडेंट्स को बताया। उन्होंने बताया कि हम फोटो और विडियो में मिसइनफार्मेशन और डिसइनफार्मेशन को आसानी से पकड़ सकते है। ज्यादातर कंटेंट फेक होता है या फिर ओरिजिनल फोटो या विडियो को तोड़मरोड़ कर अन्य अवसरों पर वायरल किया जाता है। ताकि सम्बंधित व्यक्ति की छवि को नुकसान पहुँचाया जा सके। कार्यशाला के प्रारंभ में कंप्यूटर विभाग के प्रो. डॉ अनुराग सीठा ने स्वागत भाषण दिया और कार्यशाला के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि आज फेक न्यूज़ से लड़ने के लिए पत्रकारों को तैयार किये जाने की आवश्यकता है। इस अवसर पर कुलपति श्री दीपक तिवारी भी मौजूद रहे। कार्यशाला में भोपाल और अन्य शहरों से 160 से अधिक पत्रकार और छात्रों ने भाग लिया।