पत्रकारिता के पाठ्यक्रमों में इतनी वैरायटी किसी विश्वविद्यालय में नहीं – कुलपति प्रो. केजी सुरेश
अच्छा पत्रकार बनना है तो संकल्प लें, महत्वाकांक्षा पालें – पद्मश्री विजयदत्त श्रीधर
पत्रकारिता में शस्त्रों से नहीं, शब्दों से लड़ाई होती है – प्रो. कुलदीप चंद्र अग्निहोत्री
सूचनाओं के संधारण से नहीं, मन और बुद्धि से आते हैं संस्कार – डॉ. सच्चिदानंद जोशी
डिजिटल मीडिया में अपार संभावनाएं – अभिजीत मजूमदार
पत्रकारिता में छोटे और सरल शब्द लिखें – डॉ. शिरीष काशीकर
पत्रकारिता विश्वविद्यालय में तीन दिवसीय उन्मुखीकरण 2021 कार्यक्रम का शुभारंभ
26 जनवरी को बिखनखेड़ी के नवीन परिसर में शुरु होगा विश्विविद्यालय – कुलपति प्रो.सुरेश
भोपाल, 07 दिसम्बर, 2021: हमारे विश्वविद्यालय में पत्रकारिता के जितने विषय हैं, पाठ्यक्रमों में जितनी वैरायटी है उतनी देश के किसी भी विश्वविद्यालय में नहीं है। ये उन्मुखीकरण 2021 कार्यक्रम आप सभी विद्यार्थियों के लिए ही है, इसका आप सभी को लाभ उठाना चाहिए। माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित तीन दिवसीय ओरिएंटेशन कार्यक्रम के शुभारंभ अवसर के प्रथम सत्र में ये बात कार्यक्रम के अध्यक्ष एवं विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. के.जी. सुरेश ने कही। हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति एवं वर्तमान मे संस्कृति मंत्रालय के सलाहकार प्रो.कुलदीप चंद्र अग्निहोत्री ने मुख्य अतिथि वक्ता के रुप में विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि सीमा पर लड़ाई शस्त्रों से होती है, लेकिन पत्रकारिता के क्षेत्र में लड़ाई शब्दों से होती है। उन्होंने कहा कि एक शब्द से अर्थ का अनर्थ हो सकता है इसीलिए शब्दों के चयन में बहुत सावधानी रखना चाहिए। शुभारंभ सत्र का संचालन पत्रकारिता विभाग की विभागाध्यक्ष एवं कार्यक्रम की संयोजक डॉ. राखी तिवारी ने किया। मामा माणिकचंद्र वाजपेयी सभागार में हो रहे कार्यक्रम में कुलसचिव प्रो. अविनाश वाजपेयी, विभिन्न विभागों के विभागाध्यक्ष, शिक्षक एवं विद्यार्थी उपस्थित रहे।
शुभारंभ सत्र की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने इस अवसर नवीन विद्यार्थियों को खुशखबरी भी दी। उन्होंने 26 जनवरी के दिन बिशनखेड़ी स्थित विश्वविद्यालय के भव्य नए परिसर में जाने की घोषणा की। इसके साथ ही कुलपति प्रो. सुरेश ने 18, 19, 20 फरवरी को नए परिसर में आयोजित होने वाले चित्र भारती फिल्मोत्सव के आयोजन कि जानकारी दी, साथ ही विद्यार्थियों को अधिक से अधिक संख्या में सहभागिता करने को भी कहा।
द्वितीय सत्र में इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के सदस्य सचिव डा. सच्चिदानंद जोशी ने “मीडिया का संस्कार” विषय पर अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि संस्कार सूचनाओं के संधारण से नहीं आते हैं, यह व्यक्ति के मन से, बुद्धि से आते हैं। इसलिए विद्यार्थियों को श्रेष्टतम संस्कारों को आत्मसात करना चाहिए। डॉ. जोशी ने कहा कि संस्कार गुरु के सानिध्य से ही प्राप्त हो सकता है, अत: विद्यार्थी मन लगाकर अच्छी पुस्तकों का अध्यापन करें। उन्होंने कहा कि मीडिया का कोर्स, मेडिकल के कोर्स की तरह ही है। जैसे मेडिकल के कोर्स में शरीर का इलाज किया जाता है, वैसे ही पत्रकारिता में समाज में फैली अव्यवस्थाओं का ईलाज किया जाता हैं। इस सत्र का संचालन न्यू मीडिया विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. पी. शशिकला द्वारा किया गया।
तृतीय सत्र में “डिजिटल मीडिया आंत्रप्नोयरशिप” विषय पर Earshot media के संस्थापक एवं एडिटर इन चीफ अभिजीत मजूमदार ने डिजिटल मीडिया के क्षेत्र में नई संभावनाओं से विद्यार्थियों को अवगत कराया। उन्होंने कहा कि आज के बदलते युग में इस नए प्लेटफार्म में कैरियर की अपार संभावनाएं एवं अवसर हैं। श्री मजूमदार ने विद्यार्थियों को सदैव अपडेट रहने की सलाह दी। सत्र का संचालन विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो. (डॉ) अविनाश वाजपेयी द्वारा किया गया।
प्रथम दिवस का चतुर्थ एवं अंतिम सत्र का विषय आजादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत “मीडिया की स्वर्णिम यात्रा” था। माधवराव सप्रे संग्रहालय,समाचार पत्र और अनुसंधान संस्थान भोपाल के संस्थापक निदेशक पद्मश्री विजयदत्त श्रीधर एवं भारतीय जनसंचार एवं पत्रकारिता संस्थान अहमदाबाद के निदेशक डॉ. शिरीष काशीकर ने इस विषय पर अपने विचार व्यक्त किए। डॉ. काशीकर ने गुजराती समाचार-पत्र एवं पत्रकारों के स्वर्णिम इतिहास के बारे में बताया। पत्रकारिता के नवागत विद्यार्थियों को उन्होंने गुरुमंत्र देते हुए कहा कि वे छोटे और सरल शब्द में लिखें। पद्मश्री विजय दत्त श्रीधर जी ने विद्यार्थियों में उत्साह भरते हुए कहा कि यदि उन्हें एक अच्छा पत्रकार बनना है तो इसके लिए विद्यार्थियों को संकल्प लेना होगा। साथ ही इसके लिए उनको महत्वाकांक्षा भी जरुर पालना चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि आप सवाल पूछना सीख गए तो आप पत्रकार बन जाएंगे। श्रीधर जी ने कहा कि सवाल पूछना ही पत्रकारिता है। उन्होंने नारद की पत्रकारिता पर भी अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा का नारद की पत्रकारिता का पहला उद्देश्य लोकमंगल था। सत्र की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने की। सत्र का संचालन जनसंचार विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. आशीष जोशी द्वारा किया गया।