मानव संग्रहालय में केन्द्रीय राज्यमंत्री श्री दुर्गादास उइके ने अंतर राष्ट्रीय सम्मेलन पूर्व लोकमंथन का किया शुभारंभ
5 दिवसीय जनजातीय वैद्य शिविर का भी हुआ शुभारंभ
भोपाल, 21 सितम्बर, 2024: इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय में केन्द्रीय राज्यमंत्री (जनजातीय मामले) श्री दुर्गादास उइके ने शनिवार को अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन पूर्व लोकमंथन का शुभारंभ किया। सम्मेलन में तीन पद्मश्री से सम्मानित हस्तियां सुश्री यानु लेगो, सुश्री लक्ष्मी कुट्टी, श्री अर्जुन सिंह धुर्वे का विशेष रुप से उपस्थित थे, जिनका सम्मान केन्द्रीय राज्यमंत्री श्री उइके द्वारा शॉल एवं स्मृति चिन्ह देकर किया गया। इससे पहले एक पेड़ मां के नाम अभियान के अंतर्गत केन्द्रीय राज्यमंत्री श्री उईके एवं श्री जे. नंदकुमार द्वारा तटीय ग्राम प्रदर्शनी के दो नारियल के पेड़ भी लगाए गए। इसके बाद पांच दिवसीय जनजातीय वैद्य शिविर एवं कार्यशाला का भी शुभारंभ श्री उइके द्वारा किया गया। इस अवसर पर आसाम एवं मिज़ोरम के जनजातीय समाज ने श्री उइके का दुशाला देकर सम्मान किया। सम्मेलन में शोध सारांश की बुकलेट का भी विमोचन किया गया। इस अवसर पर केन्द्रीय राज्यमंत्री (जनजातीय मामले) श्री दुर्गादास उइके ने कहा कि जनजातीय समाज प्रकृति के पूजक हैं। श्री उइके ने पूर्व लोकमंथन की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह आयोजन राष्ट्रीय चेतना को जगाने का काम कर रहा है। अपने उद्बोधन में उन्होंने जनजातीय समाज के विभिन्न उदाहरण दिए, जिनमें भगवान राम द्वारा सबरी के झूठे बेर खाना, पांडव के वनवास और उनका जनजातीय समाज के बीच रहना, भीम की हिडम्बा से शादी करना, बेटे घटोत्कक्ष का जन्म, उसके बाद बेटे बर्बरीक का जन्म एवं बर्बरीक की वीरता और खाटू श्याम के नाम से उनका विख्यात हो जाना। सम्राट घनानंद से बदला लेने के लिए और रणनीति बनाने के लिए चाणक्य का जनजातीय समाज के बीच रहना और उनकी सहायता लेना। पूर्व लोकमंथन को प्रेरणादाई बताते हुए उन्होंने सम्मेलन में आए सभी लोगों से भारत को स्वर्णिम राष्ट्र बनाने की अपील की। अखिल भारतीय प्रज्ञा प्रवाह के राष्ट्रीय संयोजक श्री जे. नंदकुमार ने कहा कि भारत की संवाद परंपरा पश्चिम से पूर्व की है। उन्होंने कहा कि लोक यानी ओरिजनालिटी है। उन्होंने सनातनी कॉन्टेपरी दृष्टि पर विचार व्यक्त करते हुए भाग्यनगर में होने वाले लोकमंथन के बारे में भी महत्वपूर्ण जानकारी दी। माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के पूर्व कुलगुरु प्रो. (डॉ.) के.जी. सुरेश ने पारंपरिक चिकित्सा को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाए जाने की बात कही। उन्होंने शोध के विभिन्न वैज्ञानिक मापदंडों(पैरामीटर्स) पर विशेष प्रकाश डाला। प्रो. सुरेश ने कहा पारम्परिक लोक चिकित्सकों की ईलाज की इन तकनीकों को आमजन तक पहुंचाने के लिए संचार की बहुत आवश्यकता है। वरिष्ठ आईएएस व निदेशक जनजातीय शोध संस्थान श्री विनोद सेमवाल ने कहा कि प्रकृति हमको सिखाती है। उन्होंने जनजातीय ज्ञान को लिपिबद्ध करने की बात कही। साथ ही उन्होंने लोगों से कहा कि प्रकृति के ज्ञान, वेद पुराण, परम्परा आदि पर विश्वास करें। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय के निदेशक प्रो.(डॉ.) अमिताभ पांडे ने जनजातीय समाज के योगदान पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि जनजातीय समाज बहुत समृद्ध है और वे इतने आधुनिक थे कि घर का निर्माण बिना एक भी कील ठोके उनके द्वारा किया गया है। उन्होंने जनजातीय समाज की इन धरोहरों को संग्रहित करने की बात कही। शुभारंभ सत्र में पूर्व लोकमंथन सम्मेलन की रुपरेखा पर एंथ्रोपोस इंडिया फाउंडेशन की संस्थापक अध्यक्ष जेएनयू एसो. प्रोफेसर व संयोजक डॉ. सुनीता रेड्डी ने प्रकाश डाला। सम्मेलन का संचालन मोह. रेहान एवं सुश्री अनुकृति बाजपई ने किया। आभार प्रदर्शन दत्तोपंत ठेंगड़ी शोध संस्थान के निदेशक डॉ. मुकेश मिश्रा द्वारा किया गया। इसके बाद विभिन्न सत्रों में शोधार्थियों द्वारा अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए गए।
दो दिवसीय अंतर राष्ट्रीय पूर्व लोकमंथन सम्मेलन का रविवार को समापन होगा। समापन समारोह के मुख्य अतिथि उच्च शिक्षा मंत्री श्री इंदर सिंह परमार विशेष रूप से उपस्थित रहेंगे। समापन समारोह में इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय के निदेशक प्रो डॉ अमिताभ पांडे, संयोजक डॉ सुनीता रेड्डी, डॉ. सुशील के. श्रीवास्तव उपस्थित रहेंगे।
मानव संग्रहालय में विशेष रुप से जनजातीय वैद्य शिविर एवं कार्यशाला का भी आयोजन किया गया है, जो 25 सितंबर तक है। यहां लगभग 18 राज्यों से आए हुए जनजातियों द्वारा 44 स्टॉल लगाए गए हैं। यहाँ जनजातीय वैद्यों द्वारा उनके उपचार पद्धतियों का लाइव प्रदर्शन किया जा रहा है। साथ ही प्राकृतिक उपचार, पारंपरिक उपचार तकनीकों और औषधीय पौधों के बारे में जानने के लिए प्रतिदिन इंटरेक्टिव सत्रों का आयोजन भी हो रहा है। वहीं जनजातीय पारंपरिक लोक चिकित्सा में उपयोग की जाने वाली पारंपरिक जड़ी बूटियों, औषधीय पौधों का प्रदर्शन किया जा रहा है।