केन्द्रीय राज्यमंत्री श्री दुर्गादास उइके अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन पूर्व लोकमंथन का आज करेंगे शुभारंभ
मानव संग्रहालय में 21 व 22 सितंबर को होगा आयोजन
पांच दिन चलेगा जनजातीय वैद्य शिविर
भोपाल, 20 सितम्बर, 2024: इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय भोपाल में 21 एवं 22 सितंबर को अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन “पूर्व लोकमंथन” का आयोजन होने जा रहा है। “वाचिक परंपरा में प्रचलित हर्बल उपचार प्रणालियां: संरक्षण, संवर्धन और कार्य योजना” विषय पर इस दो अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का शुभारंभ केंद्रीय राज्यमंत्री (जनजातीय मामले) श्री दुर्गादास उइके करेंगे। भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद्, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय, प्रज्ञा प्रवाह, दंत्तोपंत ठेंगड़ी शोध संस्थान भोपाल, एंथ्रोपोस इंडिया फाउंडेशन एवं माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में यह सम्मेलन मानव संग्रहालय के आवृत्ति भवन में होगा। सम्मेलन में शोध पत्रों का वाचन होगा। सम्मेलन में पद्मश्री से सम्मानित हस्तियां भी विशेष रूप से शिरकत करेंगी।
इस दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय के निदेशक प्रो.(डॉ.) अमिताभ पांडे, प्रज्ञा प्रवाह के अखिल भारतीय संयोजक श्री जे. नंदकुमार, माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के कुलगुरु एवं जनसंपर्क आयुक्त डॉ. सुदाम खाड़े, पूर्व कुलगुरु प्रो.(डॉ.) के.जी. सुरेश साथ ही दिल्ली विश्वविद्यालय के सेवानिवृत्त कुलपति प्रो.पी.सी जोशी, डॉ. रमेश गौड़, (आईजीएनसीए), जनजातीय अनुसंधान संस्थान भुवनेश्वतर उड़ीसा के निदेशक प्रो. ओटा, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय नई दिल्ली की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. रीता सोनी, डॉ. देबजानी रॉय, क्यूसीआई, एनईआईएफएम के निदेशक डॉ. रोबिन्द्र टेरोन, केंद्रीय आयुर्वेद एवं सिद्ध अनुसंधान परिषद नई दिल्ली से डॉ. गोयल, डॉ. जया, ऐड. डिर. मोटा, राष्ट्रीय जनजातीय अनुसंधान संस्थान दिल्ली की विशेष निदेशक डॉ. नूपुर तिवारी, डॉ. अभिषेक जोशी आयुर्वेद चिकित्सक (बाली), डॉ. सोबत (थाईलैंड), डॉ. बामदेव सुबेदी, (नेपाल) विशेष रुप से अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में उपस्थित रहेंगे।
सम्मेलन में 5 दिवसीय जनजातीय वैद्य शिविर एवं कार्यशाला भी आयोजित की जा रही है, जिसमें लोक चिकित्सक मरीजों का पारंपरिक इलाज करेंगे और विभिन्न रोगों में उनके द्वारा उपयोग की जा रही औषधियों के ज्ञान को भी साझा करेंगे। इसमें लगभग 18 राज्यों से 100 हीलर्स आएंगे।
उल्लेखनीय है कि भारत में कई जनजातियों की अपनी पारंपरिक उपचार पद्धतियाँ हैं और वे बीमारियों के इलाज के लिए हर्बल ज्ञान के समृद्ध भंडार पर भरोसा करते हैं। ग्रामीण भारत में, औपचारिक स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं तक सीमित पहुंच के कारण गैर-संहिताबद्ध हर्बल उपचार अक्सर उपचार की पहली उपलब्ध सुविधा है। स्थानीय चिकित्सक अपने निकटतम वातावरण में उपलब्ध विभिन्न प्रकार के पौधों और प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग करते हैं।
ये पारंपरिक लोक चिकित्सक जैव विविधता के विशाल ज्ञान के संरक्षक हैं, ऐसे चिकित्सकों का धीरे धीरे लुप्त होते जाना भारत के लिए इस समृद्ध विरासत का नुकसान है। संगोष्ठी की संयोजक डॉ.सुनीता रेड्डी ने बताया कि इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय, विभिन्न संस्थानों के निदेशक, पूर्वी एशियाई देशों और आयुष के विद्वान विभिन्न विषयों पर विमर्श करेंगे। स्थानीय महाविद्यालयों तथा स्कूलों के छात्र, शोधार्थी छात्र तथा आमजन भी हर्बल उपचार के पारंपरिक ज्ञान जो बिना किसी लिखित पाठ के पीढ़ी-दर-पीढ़ी हस्तांतरित होते रहे हैं उसे भी चिकित्सकों के पास प्रत्यक्ष रूप से देख सकेंगे। जनजातीय वैद्य शिविर आम नागरिकों के लिए 5 दिन 25 सितंबर तक चलाया जाएगा।