सूचना नहीं बल्कि शिक्षक ज्ञान और विवेक विद्यार्थियों को प्रदान करें : प्रो सुरेश

शिक्षा फेल पास ना होकर लर्निंग बेस्ड होनी चाहिए : स्वामी धर्मबंधु

“गुरु शिष्य परंपरा : वर्तमान परिपेक्ष में” विषय पर विशेष व्याख्यान

भोपाल, 18 जुलाई 2024: माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय में “गुरु शिष्य परंपरा: वर्तमान परिपेक्ष में” विषय पर विशेष व्याख्यान का आयोजन किया गया। भरत मुनि शोधपीठ के तत्वाधान में द्रोणाचार्य कक्ष में गुरु पूर्णिमा पर्व के अवसर पर आयोजित विशेष व्याख्यान की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रो. डॉ. के.जी. सुरेश ने की। मुख्य वक्ता श्री वैदिक मिशन ट्रस्ट राजकोट गुजरात के संस्थापक स्वामी धर्मबंधु थे।

विशेष व्याख्यान की अध्यक्षता करते हुए विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रो. सुरेश ने कहा कि गुरु का मार्गदर्शन समाज के निर्माण के लिए बहुत जरुरी है। उन्होंने कहा कि हमें यह देखना होगा कि गुरु की भूमिका क्या है ? क्या हम उसे निभा पा रहे हैं ? प्रो. सुरेश ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में गुरु की भूमिका को बहुत महत्व दिया गया है। उन्होंने कहा कि गुरु शिष्य परंपरा में विद्यार्थी के साथ संबंध सिर्फ पढ़ाई तक न रहे बल्कि आजीवन रहना चाहिए। उन्होंने कक्षाओं को आकर्षित बनाने पर जोर दिया। प्रो. सुरेश ने कहा कि वर्तमान युग डिजिटल क्रांति का युग है। हमने जो सूचना से ज्ञान अर्जित किया है, वह हमें विद्यार्थियों को देना है। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में शिक्षकों को लगातार अपडेट रहने की जरूरत है। उन्होंने स्वामी धर्मबंधु की प्रशंसा करते हुए कहा कि वे राष्ट्र कथा करवाते हैं, जिसमें गणितज्ञ, वैज्ञानिकों को बुलाया जाता है एवं राष्ट्र प्रेम की भावना जागृत की जाती है।

मुख्य वक्ता के रूप में स्वामी धर्मबंधु ने कहा कि हमें प्राकृतिक संसाधनों को संभाल कर रखना है। उन्होंने आंकड़ों का जिक्र करते हुए कहा कि विश्व के 70% आर्थिक संसाधन चीन एवं भारत के पास थे। पहले भारत आर्थिक रूप से बहुत संपन्न था। भारत में संसाधनों को कैसे बढ़ाया जा सकता हैं, हमें यह सोचना होगा। उन्होंने कहा कि हम जॉब प्रोवाइड थे। स्वामी धर्मबंधु ने गुरु शिष्य परंपरा में लर्निंग को सबसे ज्यादा महत्व दिया। उन्होंने कहा कि ये फेल पास ना होकर लर्निंग बेस्ड होनी चाहिए। उन्होंने एक अच्छा इंसान बनने की बात करते हुए स्वयं से सीखने एवं आत्म चिंतन पर बल दिया।  व्याख्यान का संचालन भरतमुनि शोधपीठ के समन्वयक प्रो. गिरीश उपाध्याय एवं आभार प्रदर्शन प्रो. शिवकुमार विवेक द्वारा किया गया। विशेष व्याख्यान में विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो. (डॉ.) अविनाश वाजपेयी विभिन्न विभागों के विभाग अध्यक्ष, शिक्षण, अधिकारी, कर्मचारी एवं विद्यार्थी उपस्थित थे।