पत्रकारिता विश्वविद्यालय में उदन्त मार्तण्ड सभागार का हुआ शुभारंभ

उदन्त मार्तण्ड के 200 वर्ष पूर्ण होने पर 2026 में होगा अंतरराष्ट्रीय आयोजन : कुलगुरु प्रो. सुरेश

एमसीयू में हिंदी पत्रकारिता : अवसर और चुनौतियां विषय पर विशेष व्याख्यान

भोपाल, 30 मई, 2024: माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय में हिंदी पत्रकारिता दिवस के अवसर पर चाणक्य भवन स्थित सभागार का नामकरण देश के पहले हिंदी समाचार पत्र “उदन्त मार्तण्ड” के नाम पर किया गया। विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रो. (डॉ.) के. जी. सुरेश एवं मध्यप्रदेश गान के रचियता, विवि. की महापरिषद के सदस्य वरिष्ठ पत्रकार महेश श्रीवास्तव ने “उदन्त मार्तण्ड सभागार” का शुभारंभ किया। इस अवसर पर कुलगुरु प्रो. सुरेश ने घोषणा की कि वर्ष 2026 में उदन्त मार्तण्ड के 200 वर्ष पूर्ण होने पर विश्वविद्यालय द्वारा एक अंतरराष्ट्रीय स्तर का आयोजन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इसकी अध्यक्षता श्री महेश श्रीवास्तव करेंगे। सभागार के शुभारंभ एवं हिंदी पत्रकारिता : अवसर और चुनौतियां विषय पर पत्रकारिता विभाग द्वारा आयोजित इस विशेष व्याख्यान एवं कार्यक्रम के बारे में विषय प्रवर्तन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. संजीव गुप्ता द्वारा किया गया।

हिंदी पत्रकारिता दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में प्रो. सुरेश एवं श्री महेश श्रीवास्तव द्वारा पत्रकारिता विभाग के समाचार पत्र विकल्प, मीडिया प्रबंधन विभाग के समाचार पत्र नेशन डेली, जनसंचार विभाग के समाचार पत्र पहल, विवि. की शोध पत्रिका मीडिया मीमांशा, श्री संजय सक्सेना की पुस्तक डायरी का मुड़ा हुआ पन्ना एवं वरिष्ठ पत्रकार एवं पूर्व विद्यार्थी श्री सतीष एलिया की पुस्तक का भी विमोचन किया गया। इस अवसर पर विवि. के विद्यार्थी कार्तिकेय पांडे एवं आदित्य चौरसिया द्वारा श्री महेश श्रीवास्तव पर बनाई गई डाक्यूमेंट्री फिल्म भी सभागार में दिखाई गई। कार्यक्रम में श्री श्रीवास्तव ने विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रो. सुरेश को उनके द्वारा लिखित एवं संपादित पुस्तकें भी भेंट की। इससे पूर्व प्रो. सुरेश ने उन्हें स्मृति चिन्ह एवं अंगवस्त्र भेंटकर उनका स्वागत किया।

अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए कुलगुरु प्रो. सुरेश ने कहा कि पंडित जुगल किशोर शुक्ल ने हिंदी पत्रकारिता के लिए जो किया है वह एक मानक बन गया है, जिसे हमें बनाए रखना है। उन्होंने कहा कि हमारा विश्वविद्यालय, हिंदी पत्रकारिता का पर्यायवाची बन गया है। प्रो. सुरेश ने श्री महेश श्रीवास्तव की प्रशंसा करते हुए विद्यार्थियों से कहा कि सैद्धांतिक पत्रकारिता के लिए उन्हें श्री महेश जी को जरुर पढ़ना चाहिए और उनसे पत्रकारिता की सीख लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि आज हिंदी पत्रकारिता, भाषाई पत्रकारिता के कारण जिंदा है। प्रो. सुरेश ने कहा कि सामाजिक सरोकारों से भरपूर, जनता की आकांक्षाओं से भरपूर पत्रकारिता को लेकर वे आश्वस्त हैं।

मुख्य वक्ता एवं वरिष्ठ पत्रकार श्री महेश श्रीवास्तव ने कहा कि हिंदी पत्रकारिता में अवसर एवं चुनौती एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। उन्होंने कहा कि यदि धर्म के रुप पत्रकारिता को धारण किया जाता है तो यह बहुत अच्छा है। श्री श्रीवास्तव ने कहा कि पत्रकारिता ने स्वतंत्रता के संघर्ष की कोख से जन्म लिया है। उन्होंने कहा कि पत्रकारिता की पहली चुनौती पुरुषार्थ है। दूसरी विश्वास एवं तीसरी भाषा की शुद्धता, पुष्ठ जानकारियां, तटस्थ दष्टिकोण एवं प्रवाहमान पत्रकारिता। उन्होंने विद्यार्थियों को खूब अध्ययन करने, शुद्ध हिंदी लिखने,हिंदी के साथ ही अंग्रेजी भाषा का भी ज्ञान होने की बात कही। श्री श्रीवास्तव ने विद्यार्थियों से कहा कि वे पत्रकार बनकर स्वार्थी, अवसरवादी एवं अहंकारी कभी ना बनें। साथ ही उन्होंने कहा कि ज्ञान जहां से मिले, जैसे मिले, जिस भाषा में मिले उसे प्राप्त कर लेना चाहिए।

कार्यक्रम का संचालन सहायक प्राध्यापक श्री लोकेंद्र सिंह राजपूत एवं आभार प्रदर्शन सहायक प्राध्यापक डॉ. सतेन्द्र डहेरिया द्वारा किया गया। कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो. (डॉ.) अविनाश वाजपेयी, विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों के विभागाध्यक्ष, शिक्षक, अधिकारी, कर्मचारी एवं विद्यार्थी उपस्थित थे।