एंकरिंग में ग्लैमर जरुर, लेकिन ये आसान नहीं है : कुलपति प्रो. डॉ. के.जी. सुरेश
पत्रकारिता विश्वविद्यालय में कार्यशाला एवं सीनियर्स से संवाद का आयोजन
पर्यावरण का अध्ययन करके अच्छे रिपोर्टर बन सकते हैं : कुलपति प्रो. डॉ. के.जी. सुरेश
भोपाल 22 फरवरी, 2024: माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय में वेटलैंड फॉर लाइफ मीडिया इंगेजमेंट प्रोग्राम वर्कशॉप का आयोजन किया गया। कार्यशाला का उद्घाटन विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. डॉ. के.जी. सुरेश ने किया। फ्रेमिंग वेटलैंड्स कैपेसिटी बिल्डिंग प्रोग्राम फॉर मीडिया स्टूडेंट्स विषय पर आयोजित दो दिवसीय वर्कशाप के पहले दिन सीनियर साइंटिस्ट लोकेंद्र ठक्कर, सीएमएस प्रोग्राम की डायरेक्टर अनु आनंद, विषय विशेषज्ञ श्री निशांत सक्सेना, डॉ. प्रणब जे पतर, जनसंचार विभाग की अध्यक्ष डॉ. आरती सारंग, संयोजक डॉ. लाल बहादुर ओझा उपस्थित थे। विश्वविद्यालय एवं सेंटर फॉर मीडिया स्टडीज के बैनर तले आयोजित इस कार्यक्रम में कुलपति प्रो. सुरेश ने कहा कि पर्यावरण क्लाइमेट चेंज बहुत ही अहम विषय है, जिसकी गंभीरता के बारे में विद्यार्थियों को पता होना चाहिए। उन्होंने कहा यह हमारी जिंदगी के लिए बहुत ही जरुरी विषय है। प्रो. सुरेश ने कहा कि समुद्र का स्तर बढ रहा है, मौसम में बदलाव लगातार हो रहा है, यह कोई छोटी बात नहीं है। उन्होंने छात्रों को इस विषय में जागरूक रहने को कहा। प्रो. सुरेश ने कहा कि आप इस विषय पर सोशल मीडिया के विभिन्न माध्यमों का उपयोग करें और जागरुकता फैलाएं। विश्वविद्यालय में मौसम केंद्र का जिक्र करते हुए उन्होंने इसने सीखने की बात कही। प्रो. सुरेश ने कहा कि पर्यावरण का अध्ययन करके आप एक अच्छे रिपोर्टर एवं अच्छे पर्यावरण विद् बन सकते हैं। पुस्तकालय विभाग में आयोजित इस वर्कशॉप में कुलसचिव डॉ. अविनाश वाजपेयी, शिक्षक एवं विद्यार्थी उपस्थित थे। इधर दूसरी ओर विश्वविद्यालय के पूर्व विद्यार्थी प्रकोष्ठ द्वारा सीनियर से संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलपति प्रो. डॉ.के.जी. सुरेश ने की। मुख्य वक्ता के रुप में वरिष्ठ न्यूज एंकर एवं पूर्व विद्यार्थी सुश्री नैना यादव उपस्थित थीं। इस अवसर पर विवि. के विद्यार्थियों द्वारा बनाया गया वीडियो एलबम मजबूरियां दिखाया गया। कुलपति प्रो. सुरेश ने एलबम की प्रशंसा की एवं विद्यार्थियों को बधाई भी दी। एंकरिंग पर उन्होंने कहा कि एंकरिंग में ग्लैमर जरुर है लेकिन ये आसान नहीं है। उन्होंने कहा कि एंकर की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होती है। प्रो. सुरेश ने कहा कि एंकर को टीपी और ईपी पर निर्भर नहीं रहना चाहिए, बल्कि उसके पास शब्दावली और कंटेंट भी होना चाहिए। पूर्व विद्यार्थी एवं एंकर सुश्री नैना यादव ने कहा कि एंकर की जिम्मेदारी बहुत बड़ी होती है। उन्होंने कहा कि अगर एंकर अखबार नहीं पढ़ता नहीं है तो बहुत दिक्कत है क्योंकि एंकर को पढ़ते रहना, ताकि उसके पास उस विषय की जानकारी हो और बोलने के लिए कंटेंट भी रहे। इस अवसर पर पूर्व विद्यार्थी प्रकोष्ठ के संयोजक श्री परेश उपाध्याय ने भी अपने विचार व्यक्त किए।