पत्रकारिता के विद्यार्थी भाषा पर विशेष ध्यान दें – कुलपति प्रो केजी सुरेश
पत्रकार तैराक है, साहित्कार गोताखोर – डॉ. देवेंद्र दीपक
सूचना का अधिकार लोकमंगल का कानून है – विजय मनोहर तिवारी
जनसंपर्क में कैरियर की बहुत संभावनाएं हैं – मनोज द्विवेदी
विज्ञापन में रचनात्मकता, उत्सुकता का होना जरुरी – डॉ. दिवाकर शुक्ला
पत्रकारिता विश्वविद्यालय में उन्मुखीकरण कार्यक्रम 2022 का समापन
भोपाल, 30 नवम्बर, 2022: पत्रकारिता के विद्यार्थियों को भाषा पर विशेष ध्यान चाहिए। ये कहना है माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.केजी सुरेश का। उन्होंने ये विचार विश्वविद्यालय के उन्मुखीकरण कार्यक्रम 2022 के अंतिम दिन व्यक्त किए। अंतिम दिवस वरिष्ठ जनसंपर्क अधिकारी श्री मनोज द्विवेदी, प्रो. डॉ. दिवाकर शुक्ला, सूचना आयुक्त श्री विजय मनोहर तिवारी एवं प्रख्यात साहित्कार डॉ देवेंद्र दीपक का व्याख्यान हुआ।
कुलपति प्रो. सुरेश ने कहा कि पत्रकारिता की भाषा सौम्यता की भाषा होती है, उन्होंने कहा कि पत्रकारिता की भाषा शांति की भाषा होना चाहिए। इसलिए पत्रकारिता करते हुए विद्यार्थियों को भाषा पर विशेष ध्यान देना चाहिए। प्रो. सुरेश ने कहा कि कई अखबारों ने साहित्य को बढ़ावा दिया है। विद्यार्थियों को अखबार पढ़ने की सलाह देते हुए उन्होंने पाकिस्तान एवं नेपाल दौरे में पत्रकारिता के अपने अनुभवों को भी साझा किया। साहित्य एवं पत्रकारिता पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि दोनों में सामंजस्य बनाकर रखना चाहिए। प्रो. सुरेश ने कहा कि पुस्तकें पढ़ने से समझ बढ़ती है इसलिए विद्यार्थियों को साहित्य, पत्रकारिता व अन्य विधाओं की पुस्तकों का अध्ययन लगातार करते रहना चाहिए।
जनसंपर्क का बदलता स्वरुप विषय पर ऊर्जा विभाग के वरिष्ठ जनसंपर्क अधिकारी श्री मनोज द्विवेदी ने कहा कि जनसंपर्क में आज बहुत बदलाव आ गया है। उन्होंने कहा कि इसमें कैरियर की बहुत संभावनाएं हैं। जनसंपर्क में सरकारी, निजी या अन्य क्षेत्रों की जानकारी देते हुए श्री द्विवेदी ने विद्यार्थियों के कैरियर की जिज्ञासाओं को भी शांत किया। सत्र की अध्यक्षता विज्ञापन एवं जनसंपर्क विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. पवित्र श्रीवास्तव ने की, वहीं सत्र संचालन ट्यूटर सुश्री जया सुरजानी द्वारा किया गया।
विज्ञापन की दुनिया विषय पर डॉ. दिवाकर शुक्ला ने कहा कि आज विज्ञापन का स्वरुप बदल गया है। उन्होंने वर्तमान समय में विज्ञापन में रचनात्मकता की बात की। डॉ. दिवाकर ने इसके साथ ही कहा कि विज्ञापन में उत्सुकता का होना भी बहुत जरुरी है। उन्होंने अपने व्याख्यान में कोविड काल के दौरान के कुछ उदाहरण भी दिए। सत्र की अध्यक्षता संचार शोध विभाग की विभगाध्यक्ष डॉ. मोनिका वर्मा ने की, वहीं सत्र का संचालन ट्यूटर सुश्री गरिमा पटेल ने किया।
मध्यप्रदेश के सूचना आयुक्त श्री विजय मनोहर तिवारी ने जानने के हक विषय पर विद्यार्थियों को कहा कि वे पत्रकारिता में सूचना का अधिकार का जरुर उपयोग करें। उन्होंने कहा कि कई भ्रष्टाचारों का खुलासा आरटीआई के कारण हुआ है। सूचना के अधिकार से जुड़ी पुस्तकों को पढ़ने की सलाह देते हुए उन्होंने अपने अनुभवों को भी साझा किया। उन्होंने कहा कि आरटीआई सिस्टम को ठीक करने में आपकी मदद कर सकता है। विश्वविद्यालय के पूर्व विद्यार्थी एवं पत्रकार रहे श्री तिवारी ने कहा कि सूचना का अधिकार लोकमंगल का कानून है। सत्र की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.केजी सुरेश ने की, वहीं सत्र संचालन प्रोड्यूसर एवं विधि अधिकारी श्री दीपक चौकसे ने किया।
अंतिम सत्र में साहित्य और पत्रकारिता विषय पर प्रख्यात साहित्यकार श्री देवेंद्र दीपक ने कहा कि साहित्कार एवं पत्रकार दोनों मित्र हैं। उन्होंने कहा कि पत्रकार का काम जोखिम भरा होता है और वह जोखिम उठाता है। उन्होंने कहा कि पत्रकार तैराक है तो वहीं साहित्कार गोताखोर है। साहित्कार डॉ. दीपक ने कहा कि पत्रकार का काम समाज में जो घटित हो रहा है उसे सामने लाना होता है। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि यदि आप पत्रकार बनना चाहते हैं तो आप जिस भाषा में बोल रहे हैं उस भाषा का शब्दकोष आपके पास होना चाहिए। उन्होंने कहा कि विद्यार्थी अपने घर में शब्दकोष, संदर्भ कोष एवं शूक्त कोष जरुर रखें। सत्र की अध्यक्षता जनसंचार विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. आरती सारंग ने की, वहीं सत्र संचालन सहा. प्राध्यापक श्री प्रदीप डहेरिया ने किया। उन्मुखीकरण कार्यक्रम में समस्त विभागाध्यक्ष, शिक्षक एवं नवप्रवेशित विद्यार्थी उपस्थित हुए।