बच्चों की मन की सुनें, उनके साथ समय बिताएं : वीरेंद्र मिश्रा
बच्चों को क्या देखना है, क्या नहीं, माता-पिता करें तय : प्रो. केजी सुरेश
एमसीयू में यूनिसेफ के सहयोग से जनसंपर्क अधिकारियों के कार्यशाला का आयोजन
भोपाल, 09 मार्च, 2022: आजकल माता-पिता ने अपने बच्चों को समय देना छोड़ दिया है, जिसके चलते बच्चे सोशल मीडिया को समय दे रहे हैं। सोशल मीडिया की लत के चलते कई बच्चों को अपनी जान तक गंवानी पड़ी। सोशल मीडिया में परोसी जा रही सामग्री बच्चों को मानसिक विकार की ओर ले जा रही है। यह कहना है, पीएचक्यू एआईजी भोपाल श्री वीरेंद्र मिश्रा का। यह बात उन्होंने माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल और यूनिसेफ मध्यप्रदेश के सहयोग से जनसंपर्क अधिकारियों के एक कार्यशाला के दौरान कही। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया समाज के हितकर होने के साथ ही नौनिहालों के लिए दिशा निर्देशन का भी काम करती है लेकिन सही मार्गदर्शन के साथ इसका उपयोग किया जाए। कार्यशाला की अध्यक्षता कर रहे विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने कहा कि बच्चों के अधिकार के साथ कोई समझौता नहीं होना चाहिए। उन्होंने बच्चों के खेलने के अधिकार पर बोलते हुए कहा कि हमें हर रिहायशी इलाकों में बच्चों के लिए पार्क उपलब्ध कराना चाहिए।
प्रो. सुरेश ने कहा कि सोशल मीडिया में बच्चों की प्राइवेसी के साथ खिलवाड़ हो रहा है। कई सामाजिक मुद्दों में बच्चों की मदद से वीडियो बनाकर लाखों लोगों तक पहुंचाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि बच्चों को क्या देखना चाहिए, क्या नहीं देखना चाहिए, इसकी पहल सभी माता-पिता अपने स्तर पर अपने घर से करें। क्योंकि स्कूल के बाद सबसे अधिक समय बच्चों का घर में बीतता है। उन्होंने कहा कि होटल एवं कारखाने में काम करने वाले बच्चों के हित में हमें आवाज उठानी पड़ेगी। इसकी पहल सभी लोग अपने स्तर पर करें। उन्होंने बताया कि आज तकनीक की सहायता से वीडियो के साथ खिलवाड़ किया जा जाता है बच्चों को इस तकनीक के बारे में कोई जानकारी नहीं होती है, जिसके चलते उनके दिमाग में बुरा प्रभाव पड़ता है। कई सोशल मीडिया गेम के चलते बच्चों को अपनी जान गंवाई पड़ी। हमें इससे सीखना होगा।
वहीं, मुख्य वक्ता श्री वीरेंद्र मिश्रा ने कहा कि सोशल मीडिया का उपयोग करते समय इस बात का ध्यान रखें कि बच्चों के अधिकारों से जुड़े कानूनों का हनन तो नहीं हो रहा है। कार्यशाला ने दौरान उन्होंने जेजेएक्ट सहित कई कानूनों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। इस अवसर पर यूनिसेफ के स्वास्थ्य संचार विशेषज्ञ श्री अनिल गुलाटी ने कहा कि सोशल मीडिया में अन्य अखबारों और टेलीविजन में बच्चों के अधिकारों को ध्यान में रखते हुए खबरें लिखना चाहिए। उन्होंने कहा कि खबरों में किसी अपराध की दशा में बच्चों की पहचान नहीं देनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया में बच्चों के अधिकारों पर हमें जागरूक होना चाहिए।
कार्यक्रम का संचालन कुलसचिव डॉ. अविनाश बाजपेयी ने और धन्यवाद ज्ञापन यूनिसेफ कार्यक्रम के विश्वविद्यालय के समन्वयक मणिकंठन नायर ने किया।