कविता श्रृंगार रस से नहीं, राष्ट्रीयता की सर्वोच्चता के उद्घोष से अमर होती है : श्रीधर पराड़कर
कविता श्रृंगार रस से नहीं, राष्ट्रीयता की सर्वोच्चता के उद्घोष से अमर होती है : श्रीधर पराड़कर ‘पुष्प की अभिलाषा’ के मूल्य और इसके शाश्वत संदेश ने शताब्दी वर्ष के लिए अभिप्रेत किया : प्रो. केजी सुरेश पत्रकारिता में अपने अंदर के जीवित पुष्प की अभिलाषा का प्रकटीकरण आवश्यक : डॉ. विकास दवे माखनलाल चतुर्वेदी…