ध्यान को बनाएं दिनचर्या का हिस्सा : डॉ. हर्ष वर्धन, केंद्रीय मंत्री
योग से आती है सकारात्मकता, दूर होता है भय : डॉ. नवदीप जोशी
कोरोना काल में एमसीयू ने किया स्वस्थ्य के प्रति जागरूकता लाने का काम : प्रो. केजी सुरेश
एमसीयू में ‘कोविड-19: नादयोग एवं प्राकृतिक चिकित्सा’ पर तीन दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन संपन्न, अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर आज शाम 4:00 बजे विशेष आयोजन
भोपाल, 20 जून, 2021: अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के परिप्रेक्ष्य में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय और नवयोग सूर्योदय सेवा समिति के संयुक्त तत्वावधान में ‘कोविड-19 नादयोग एवं प्राकृतिक चिकित्सा’ पर तीन दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। ऑनलाइन आयोजित कार्यक्रम को केंद्रीय मंत्री ने वीडियो सन्देश के माध्यम से संबोधित किया। अपने सन्देश में केंद्रीय मंत्री डॉ. हर्ष वर्धन ने कहा कि जीवन को शांत, सहज और खुशहाल बनाने के लिए हमारे ऋषियों ने अनेक विधाओं का अन्वेषण किया। ध्यान भी उसी परंपरा का अंग है। यदि व्यक्ति ध्यान को अपनी दिनचर्या में शामिल कर ले तो वह अपने व्यक्तित्व को नयी ऊंचाई दे सकता है। उन्होंने कहा कि नादयोग से सकारात्मक ऊर्जा पैदा होती है। इस अवसर पर कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने कहा कि मीडिया संस्थान के नाते हमने कोरोना महामारी के प्रति समाज को लगातार जागरूक करने का काम किया है। हम पिछले सितंबर से साक्ष्य आधारित पत्रकारिता को बढ़ावा देने के प्रयास कर रहे हैं। समाज में व्याप्त भ्रामक जानकारी के निवारण के लिए हमने देश के प्रसिद्ध चिकित्सकों के संवाद का आयोजन किया है। विश्वविद्यालय स्तर पर हमने सबसे पहले कोविड-19 रिस्पान्स टीम का गठन किया, जिसने इस कोरोना महामारी के दौरान बहुत अच्छा काम किया।
इस तीन दिवसीय कार्यशाला में विशेषज्ञों ने विद्यार्थियों एवं अन्य को योग, आसन, प्राणायाम, ध्यान एवं प्राकृतिक जीवन का प्रशिक्षण दिया। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्ष वर्धन ने इस आयोजन की सराहना की है। इस अवसर पर अंतरराष्ट्रीय नादयोग गुरु डॉ. नवदीप जोशी ने डर को दूर करने के तरीके प्रतिभागियों को बताए। उन्होंने कहा कि हमारी कुछ इच्छाएं जो पूरी नहीं होती, वे चिंता का रूप ले लेती हैं। यह चिंता ही हमें डराती हैं। चिंताओं में पड़ कर कई बार व्यक्ति अवसाद में चला जाता है। इन परिस्थितियों से बाहर निकालने में योग बहुत उपयोगी है। उन्होंने कहा कि जीवन में कठिनाईयां तो हैं, लेकिन आनंद ज्यादा है। ध्यान हमें उस आनंद की अनुभूति कराता है। डॉ. जोशी ने कहा कि डर को दूर भगाने के लिए हमें सकारात्मक सोचना चाहिए, योग करना चाहिए और स्वयं पर विश्वास रखना चाहिए। अहंकार को दूर रखना चाहिए। इस अवसर पर जेएनयू के शारीरिक शिक्षा विभाग के वरिष्ठ सहायक निदेशक डॉ. विक्रम सिंह ने भी अपने विचार व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि आप एक्सरसाइज से शारीरिक स्वस्थ तो हो जाते है लेकिन मानसिक रूप से स्वस्थ्य होने के लिए मेडिटेशन करना बहुत आवश्यक है। उन्होंने कहा कि नादयोग के निरंतर अभ्यास से आप अपने अंतर्मन को सुनना शुरू कर देते है। आप अपने मन के साथ वार्तालाप करना शुरू कर देते है।
समापन सत्र की अध्यक्षता कर रही प्रो. पी. शशिकला ने कहा कि मंत्रों में बहुत शक्ति होती है। ये हमें ऊर्जा देते हैं। उन्होंने कहा कि योग के साथ प्राकृतिक भोजन करने से अधिक लाभ होता है। हमें अपने भोजन में फलों को अवश्य शामिल करना चाहिए। आभार प्रदर्शन कुलसचिव प्रो. पवित्र श्रीवास्तव ने किया और संचालन वरिष्ठ सहायक प्राध्यापक लालबहादुर ओझा ने किया। कार्यशाला में योग और आसन का प्रशिक्षण एवं अभ्यास योगाचार्य मंजरी जोशी ने कराया।
अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर विशेष आयोजन आज:
अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर 21 जून को विश्वविद्यालय की ओर से ‘घर पर और परिवार के साथ योग’ कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। प्रख्यात आध्यात्मिक एवं होलिस्टिक वेलनेस एक्सपर्ट साध्वी प्रज्ञा भारती कार्यक्रम को संबोधित करेंगी और स्वस्थ जीवन जीने के विधि पर अपने विचार रखेंगी। कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलपति प्रो. केजी सुरेश करेंगे।