एडिटिंग सिनेमैटिक की बैकबोन है – अनिमेश सहाय
सही एडिटिंग कहानी को गुणवत्तापूर्ण बनाती है – डॉ. चंदन गुप्ता
शूटिंग में हाथ खुले रहते है जबकि एडिटिंग में हाथ बंधे रहते है – पी. के. निगम
एमसीयू में सिनेमैटिक कम्युनिकेशन पर एफडीपी प्रोग्राम
भोपाल, 17 जून, 2021: एमसीयू में सिनेमैटिक कम्युनिकेशन पर रहे एफडीपी प्रोग्राम के अंतर्गत गुरूवार को चौथा दिन सिनेमा एडिटिंग एंड एस्थैटिक पर केंद्रित रहा। सिनेमैटिक से जुड़े तीन प्रोफेशनल ने शिक्षकों को एडिटिंग एवं मल्टीमीडिया से संबंधित अद्यतन जानकारी प्रदान की। जी जेस्ट चैनल के ऑनएयर प्रमोशन्स हेड अनिमेश सहाय ने मल्टीमीडिया टूल्स आफ एडिटिंग पर चर्चा में कहा कि एडिटिंग ही पूरी प्रक्रिया की बैकबोन है, यह इंडिपेंडेंट न होकर एक डिपेंडेंट प्रोसेस है। पोस्ट प्रोडक्शन प्रोसेस आपने आप में एक बड़ी इंडस्ट्री है, जहां तकनीकी स्किल्स के आलावा पोस्ट प्रोडक्शन में कार्य करने की अनेक संभावनाएं है।
इवोल्विंग ट्रेण्ड्स इन एडिटिंग विषय पर एनआईटीटीआर के सीनियर एडिटर पीके निगम जी ने डिटिंग की तकनीक से संबंधित बारीक जानकारी बताते हुए कहा कि फिल्म मेकिंग गुणवत्ता की मांग करती है। किसी भी शॉट की सही एडिटिंग कहानी को गुणवत्तापूर्ण एवं अच्छी तरीके से कह पाती है।
इंस्ट्रक्शनल/एजुकेशनल फिल्म विषय पर ईएमआरसी इंदौर के डायरेक्टर एवं प्रोड्यूसर डा. चंदन गुप्ता ने कहा कि एजुकेशनल फिल्म समय की मांग है लेकिन इसे बनाना चुनौतीपूर्ण है, क्योंकि सच्चाई हमेशा इंटरटेनिंग नहीं होती है न ही रियल एक्टर और लोकेशन इतने आकर्षक होते है। वर्तमान में एक बड़ा टीचिंग लर्निंग प्लेटफार्म भी एजुकेशनल फिल्म को बनाने की तरफ बढ़ा है
माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय भोपाल द्वारा एआईसीटीई ट्रेनिंग एंड लर्निंग (ATAL) अकादमी के सहयोग से ‘सिनेमैटिक कम्युनिकेशन’ पर केंद्रित फेकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम में कल पांचवे और अंतिम दिन चर्चित फिल्म निर्देशिका सुश्री कामाख्या नारायण सिंह प्रशिक्षणार्थियों को संबोधित करेंगी, इसके साथ ही समापन सत्र के अवसर पर अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद् के क्षेत्रीय निदेशक श्री टी.एस. वर्मा भी मार्गदर्शन देंगे, जबकि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. के.जी. सुरेश सत्र की अध्यक्षता करेंगे।