मीडिया अब मोबाइल पर शिफ्ट हो रहा है : पी.एम. नारायणन
ब्रॉडकास्ट मीडिया का दायरा बढ़ाने की आवश्यकता : बृजेश कुमार सिंह
टीवी विज्ञापन भी अब सामाजिक बदलाव की बात करते हैं : प्रो. सजल मुखर्जी
कॉन्फ्रेंस के विमर्श पर विजन डॉक्यूमेंट तैयार करेंगे : प्रो. के.जी. सुरेश
माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय में अंतर्राष्ट्रीय मीडिया कॉन्फ्रेंस का समापन, मीडिया के विभिन्न विषयों पर चार दर्जन शोध पत्र प्रस्तुत
भोपाल, 26 मार्च, 2021: पर्सनलाइज्ड कंटेट के दौर में बहु आयामी मीडिया का ही भविष्य है, अब 80 प्रतिशत टीवी कंटेट मोबाइल पर देखा जाता है। आज मीडिया ड्राइंग रूम में सीमित नहीं है, वह अब बेडरूम, बाथरूम, कार और फ्लाइट में भी है। यह बात वरिष्ठ पत्रकार ब्रजेश कुमार सिंह ने माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय की ओर से आयोजित तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय मीडिया कॉन्फ्रेंस में कही। श्री सिंह ने कहा कि डिजिटल मीडिया ब्रॉडकास्ट मीडिया के अंतर्गत ही माना जाना चाहिए, इसे अलग से डिजिटल मीडिया कहने पर लोगों को पुनर्विचार करना चाहिए।
अंतर्राष्ट्रीय मीडिया कॉन्फ्रेंस के समापन सत्र की अध्यक्षता कर रहे विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने कहा कि मीडिया के उथलपुथल, अनिश्चितता और तेजी से परिवर्तन के दौर में यह कॉन्फ्रेंस मीडिया शिक्षक, विद्यार्थी और इंडस्ट्री के लिए निश्चित रूप से उपयोगी होगी। प्रो. सुरेश ने कहा कि हम इस कॉन्फ्रेंस में हुए विमर्श को समाज, मीडिया एवं शासन के सामने लाने के लिए एक विजन डॉक्यूमेंट तैयार करेंगे।
इससे पहले तकनीकी सत्र में वरिष्ठ अंतर्राष्ट्रीय पत्रकार डॉ वायल अवाद ने कहा कि आज के दौर में सोशल मीडिया में जहां फेक न्यूज बढ़ रही है वहीं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में समाचारों की विश्वसनीयता बनाए रखने के लिए चेक प्वाइंट और रेगुलेशन की आवश्यकता है।
‘ब्रॉडकास्ट मीडिया में विज्ञापन के बदलते आयाम’ विषय पर एआईएमसी के निदेशक प्रो. सजल मुखर्जी ने भारत में टीवी विज्ञापनों की दूरदर्शन से लेकर वर्तमान तक की पूरी यात्रा पर प्रजेंटेशन दिया। प्रो. मुखर्जी ने कहा कि अब टीवी विज्ञापन सामाजिक बदलाव की बात भी कर रहे हैं जो कि अच्छी बात है।
वहीं वरिष्ठ पत्रकार पीएम नारायणन ने ‘यूरोप में बदलते मीडिया परिदृश्य’ पर कहा कि यूरोप में मीडिया परिदृश्य 20 से 25 सालों में पूरी तरह बदल गया है। लेकिन पहले मीडिया में जो शुरूआत पश्चिम में होती थी उसे भारत तक आने में सालों लगते थे, लेकिन इंटरनेट के आने से ये चलन शीघ्र ही भारत में प्रचलित हो जाते हैं। बदलाव की बात करें तो मीडिया अब मोबाइल पर शिफ्ट हो रहा है, जिसके लिए तैयार रहने की आवश्यकता है।
समापन सत्र में कॉन्फ्रेंस सेक्रेटरी डॉ. संजीव गुप्ता ने प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। विश्वविद्यालय के इलेक्ट्रॉनिक मीडिया विभाग द्वारा आयोजित इस कॉन्फ्रेंस के समापन सत्र में कॉन्फ्रेंस के डॉ. श्रीकांत सिंह ने सभी प्रतिभागियों, शोधार्थियों एवं विशेषज्ञों का अभिनंदन करते हुए कहा कि सार्थक ब्रॉडकास्ट मीडिया के निर्माण में यह कॉन्फ्रेंस निश्चित रूप से कारगर होगी। अंतिम दिन तीन तकनीकी सत्रों की अध्यक्षता प्रो. मनीष मीहेश्वरी, प्रो. पवित्र श्रीवास्तव एवं प्रो. पी. शशिकला ने की, जबकि इन सत्रों का समन्वय सुश्री गरिमा पटेल, डॉ. गजेन्द्र सिंह अवास्या, श्री राहुल खड़िया एवं श्री शलभ श्रीवास्तव ने किया।