पत्रकारिता विश्वविद्यालय में स्थापित होगी ‘भाषा प्रयोगशाला’
विश्व हिन्दी दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम में कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने कहा, हिन्दी प्रेमी करते हैं सब भाषाओं का सम्मान
भोपाल, 11 जनवरी 2021: माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के पत्रकारिता विभाग की ओर से विश्व हिन्दी दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम में कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने कहा कि हम नये परिसर में शुद्ध भाषा के प्रशिक्षण के लिए ‘भाषा प्रयोगशाला’ की स्थापना करेंगे। ताकि संचार के विद्यार्थियों की भाषा शुद्ध होने के साथ-साथ समृद्ध और सशक्त हो। संचार के क्षेत्र में सक्रिय लोगों को भाषा की शुद्धता का ध्यान अवश्य रखना चाहिए।
कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने कहा कि हिन्दी राष्ट्रभाषा के लिए सर्वथा उपयुक्त भाषा है। चीन और जापान सहित अन्य देशों से सबक लेते हुए हमें अपना कार्य यथासंभव भारतीय भाषाओं में करना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि हमें हिन्दी को व्यावसायिक भाषा बनाने के लिए लगातार प्रयास करने होंगे। प्रो. सुरेश ने कहा कि हिन्दी को प्रेम करने वाले सभी भाषाओं के प्रति सम्मान का भाव रखते हैं। हमें विदेशी भाषाओं से शब्द लेने की जगह भारतीय भाषाओं से शब्द लेने चाहिए। संभव हो तो प्रत्येक हिन्दी भाषी को एक भारतीय भाषा सीखनी चाहिए। कुलपति ने कहा कि आज वैश्विक स्तर पर हिन्दी का विस्तार हो रहा है। कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय प्रतिवर्ष अपना शब्दकोश अद्यतन करता है, जिसमें वह प्रतिवर्ष पाँच-छह शब्द भारतीय भाषाओं से लेता है। संयुक्त राष्ट्र ने भी ट्वीटर पर अपने समाचार हिन्दी में देना शुरू किया है।
पत्रकारिता विभाग की अध्यक्ष डॉ. राखी तिवारी ने कहा कि हिन्दी वैज्ञानिक भाषा है। हम जैसा बोलते हैं, वैसा ही लिखते हैं। तकनीक के विकास के साथ ही हिन्दी का विकास भी हुआ है। यूनीकोड फॉन्ट के विकास ने इंटरनेट की दुनिया में भी हिन्दी के प्रयोग को बढ़ावा दिया है। पत्रकारिता में जो नयी पीढ़ी आ रही है, उसे डिजिटल मीडिया में हिन्दी को बढ़ावा देने के प्रयास करने चाहिए। विभाग के सहायक प्राध्यापक लोकेन्द्र सिंह ने पंडित माखनलाल चतुर्वेदी और उनकी पत्रकारिता पर अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में हिन्दी पत्रकारिता की जड़ें मजबूत करने में दादा की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। दादा हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाए जाने के आग्रही थे। 10 सितंबर, 1967 को माखनलालजी ने ‘राजभाषा संविधान संशोधन विधेयक’ के विरोध में अपना पद्मभूषण सम्मान लौटा दिया था, यह विधेयक राष्ट्रभाषा हिन्दी का विरोधी था।
इस अवसर पर पत्रकारिता विभाग के विद्यार्थियों ने अपने विचार व्यक्त किए। विद्यार्थी हितेश राजपुरोहित ने कहा कि हिन्दी ही वह भाषा है जिसने विविधताओं से भरे भारत को जोड़कर रखा हुआ है। महात्मा गांधी ने भी हिन्दी भाषा के आधार पर स्वतंत्रता के आंदोलन को राष्ट्रीय बनाया और उसे मजबूत किया। वहीं, विद्यार्थी विधि सिंह ने कहा कि अंग्रेजी व्यावसायिक भाषा हो सकती है, हमारे वार्तालाप की भाषा नहीं। हमें आपस में बातचीत अपनी मातृभाषा में ही करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि हिन्दी को बढ़ावा देने के लिए हमें अपने दैनिक जीवन में हिन्दी के प्रति सजग होने की आवश्यकता है। कार्यक्रम का संचालन विद्यार्थी शुभेन्दु भूमंडल ने किया। इस अवसर पर कुलसचिव प्रो. अविनाश बाजपेई सहित सभी विभाग के विभागाध्यक्ष, शिक्षक, अधिकारी एवं विद्यार्थी उपस्थित रहे। इस कार्यक्रम से नोएडा, खंडवा और रीवा परिसर के विद्यार्थी भी ऑनलाइन माध्यम से जुड़े रहे।