कम्युनिटी रेडियो में है मिट्टी की खुशबू
रेडियो के क्षेत्र में करियर की अपार संभावनाएं
माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय के ‘हिन्दी पत्रकारिता सप्ताह’ के अंतर्गत बीबीसी मीडिया एक्शन की पत्रकार सुश्री शेफाली चतुर्वेदी ने ‘बदलती दुनिया में रेडियो’ विषय पर रखे विचार, 5 जून को इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस, मोहाली के प्राध्यापक श्री सिद्धार्थ शेखर सिंह ‘आत्मनिर्भर भारत’ विषय पर करेंगे फेसबुक लाइव चर्चा
भोपाल, 04 जून 2020: माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के ‘हिन्दी पत्रकारिता सप्ताह’ व्याख्यान श्रृंखला के अंतर्गत बीबीसी मीडिया एक्शन की पत्रकार सुश्री शेफाली चतुर्वेदी ने पत्रकारिता विद्यार्थियों से कहा कि यदि आप रेडियो की फील्ड में आना चाहते हैं तो यहाँ अनेक अवसर हैं। हम सिर्फ यह न सोचें कि यहाँ सिर्फ रेडियो जॉकी ही बनते हैं। आप रेडियो में साउंड इंजीनियर, प्रोग्राम प्रोड्यूसर, संगीत प्रबंधक, ऑडियंस मैनेजर सहित अन्य भूमिकाओं में काम कर सकते हैं। इस क्षेत्र में आने के लिए हमें विभिन्न रेडियो एवं उनके विभिन्न कार्यक्रम सुनने चाहिए। इससे हमें रेडियो में नया करने की दिशा मिलेगी। रेडियो के क्षेत्र में करियर बनाने की अपार संभावनाएं हैं।
फेसबुक लाइव के दौरान ‘बदलती दुनिया में रेडियो’ विषय पर सुश्री चतुर्वेदी ने कहा कि जब हम बदलते युग में रेडियो की बात करते हैं तो हमें रेडियो से बदलाव की बात भी करनी चाहिए। आज देश में लगभग 261 कम्युनिटी रेडियो संचालित हो रहे हैं, जो लोकतांत्रिक ढंग से काम कर रहे हैं। सामुदायिक रेडियो के कार्यक्रमों में मिट्टी की खुशबू आती है। सामुदायिक रेडियो की ताकत है कि आप इसकी मदद से अंतिम व्यक्ति तक पहुँच सकते हैं। सामुदायिक रेडियो लोगों के मददगार बन गए हैं। बाढ़, भूकंप और तूफान जैसी प्राकृतिक आपदाओं के समय सामुदायिक रेडियो ने जिस तरह लोगों की सहायता की है, उसे उन्होंने उदाहरण सहित बताया। उन्होंने कहा कि आपदाओं में रेडियो आपकी लाइफलाइन भी बन जाता है। सुश्री चतुर्वेदी ने कहा कि कश्मीरी पंडितों को उनकी संस्कृति से जोड़े रखने में इंटरनेट रेडियो और सामुदायिक रेडियो महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
उन्होंने बताया कि भविष्य में रेडियो के कार्यक्रमों में बहुत बदलाव आना है। आप रेडियो पर हॉरर और साइंस फिक्शन भी सुन पाएंगे। भविष्य में रेडियो आपका अच्छा दोस्त बनेगा। मनोरंजन का यह साधन जल्द ही पढ़ाई का साधन भी बन सकता है। इस दिशा में कुछ प्रयास भी हुए हैं। उन्होंने कहा कि मोबाइल फोन के कारण से अब रेडियो की पहुँच भी बढ़ गई है। आज की स्थिति में तो ऑल इंडियो रेडियो के अलावा इंटरनेट रेडियो, पॉडकास्ट रेडियो, एफएम और सामुदायिक रेडियो के रूप में रेडियो के विभिन्न रूप हमारे सामने उपलब्ध हैं।
सुश्री चतुर्वेदी ने कहा कि रेडिया सुंदरता से श्रोता के दिमाग में शब्द चित्र निर्मित करता है। ऑडियो माध्यम की अपनी खूबसूरती है। यह माध्यम आपकी पसंद का दृश्य आपके दिमाग में गढऩे की स्वतंत्रता देता है।
‘आत्मनिर्भर भारत’ पर चर्चा आज :
‘हिन्दी पत्रकारिता सप्ताह’ अंतर्गत 5 जून को शाम 4:00 बजे मोहाली से प्रो. सिद्धार्थ शेखर सिंह ‘आत्मनिर्भर भारत’ विषय पर अपने विचार रखेंगे। प्रो. सिंह इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस, मोहाली में प्राध्यापक हैं। उनका व्याख्यान भी विश्वविद्यालय के फेसबुक पेज पर लाइव रहेगा।
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